Tuesday, 21 February 2023

श्रीमद राजचंद्र आत्म तत्व रिसर्च सेंटर राजनगर परली ( महाराष्ट्र) के प्रणेता,आत्म तत्वज्ञ परम पूज्य प्रेमचार्य जी ( श्री प्रवीण भाई मेहता- जिन्हें मुमुक्षु प्रेम से परम पूज्य पप्पाजी संबोधित करते थे) ने अपने पार्थिव देह को समाधिस्थ भाव से त्याग दिया


मुंबई, 21 फेब्रुवारी (HPN):  भगवान महावीर स्वामी के अंतेवासी शिष्य परम कृपालु देव श्रीमद राजचंद्रजी के अनन्य भक्त और श्रीमद राजचंद्र आत्म तत्व रिसर्च सेंटर राजनगर परली ( महाराष्ट्र) के प्रणेता,आत्म तत्वज्ञ परम पूज्य प्रेमचार्य जी ( श्री प्रवीण भाई मेहता- जिन्हें मुमुक्षु प्रेम से परम पूज्य पप्पाजी संबोधित करते थे) ने तारीख 17-02-2023 शुक्रवार को 97 वर्ष की उम्र में अपने पार्थिव देह को समाधिस्थ भाव से त्याग दिया।परली रिसर्च सेंटर में विशाल जन समुदाय की उपस्थिति में मंत्रोच्चार के साथ तारीख 18-02-2023 की संध्या बेला में आपका समाधि संस्कार किया गया।

श्रीमद राजचंद्र आत्म तत्व रिसर्च सेंटर की नींव परम पूज्य प्रेमचार्यजी द्वारा सन 2003 में रखी गई थी। वीतराग विज्ञान की सतसमझ से मुमुक्षुओं को तीर्थंकर प्रणीत मार्ग में आगे बढ़ाने तथा अत्यंत गरीबी,बीमारी से पीड़ित  आदिवासी ग्रामीण जन समुदाय , स्त्रियों की घर चलाने की असमर्थता, बच्चों का शिक्षा के बदले मजदूरी करना ताकि परिवार के लिए एक समय का भोजन आ सके आदि दुःखों से पीड़ित मानवता की सेवा , इस रिसर्च सेंटर के दो प्राथमिक उद्देश्य परम पूज्य प्रेमचार्यजी ने निर्धारित किया था।

परम पूज्य प्रेमचार्यजी ने देश विदेश के अनेक मुमुक्षुओं को सत्संग  तथा सत्समागाम द्वारा वीतराग मार्ग में सत पुरुषार्थ कराया। भगवान महावीर के अंतरंग पुरुषार्थ तथा वीतराग विज्ञान को जानकर अपनी क्रांतिकारी वाणी द्वारा प्रकाशित करना तथा आत्मसिद्धि की भावना रखने वाले साधकों को यथा योग्य मार्गदर्शन सरल शब्दों में प्राप्त करवाना ऐसा उनका सतत करुणा रस भरा पुरुषार्थ रहता था। उनकी अद्भुत प्रवचन शैली और गहन विषय को सरल उदाहरण से समझाता व रुचिपूर्ण बनाता बोध मुमुक्षुओं को अपने ऋणानुबंधी लोगों के साथ सदव्यवहार रखने तथा वीतराग मार्ग में आगे बढ़ने का उपयुक्त मार्गदर्शन देता है। परिभ्रमण की संपूर्ण आहुति, भक्ति मार्ग का रहस्य ,निर्वाण मार्ग का रहस्य, समकित का पता-सम्यक दर्शन का निवास स्थान रूप आत्मा के छह पद की सरल समझ, श्री आत्मसिद्धि शास्त्र जैसे गूढ़ विषयों पर उनकी विकसित आत्म दशा की प्रतीति देते उनके   प्रवचन अध्यात्म मार्ग में प्रयाण करते  अनेक मुमुक्षुओ को अत्यंत लाभदायक सिद्ध हुए हैं।

परली के आसपास के ग्रामीण क्षेत्र की आदिवासी अनपढ़ और पिछड़ी प्रजा के उत्थान के लिए परम पूज्य प्रेम आचार्य जी ने मुख्य चार प्रकार के  सेवा कार्य को प्रारंभ करवाया जो आज विश्व भर में फैल गया है :-

श्रमिक नारी संघ (ngo for women empowerment) द्वारा 100 प्लस आदिवासी महिलाओं को रोजगार, सात्विक भोजन तथा स्वास्थ्य संरक्षण की सुविधा।

श्री राज एजुकेशन सेंटर द्वारा 1000 से अधिक  ग्रामीण बालकों को  अत्याधुनिक अंग्रेजी माध्यम से शिक्षण

श्री राज मेडिकल सेंटर के द्वारा ग्रामीण नागरिकों के शारीरिक रोगों का उपचार

 तथा अनेक नगरों में प्रस्थापित श्री राज रोटी सेंटर द्वारा अत्यंत कम शुल्क में गरीबों को रोज एक थाली सात्विक भोजन उपलब्ध कराना। 

इन चारों क्षेत्रों में विकास की योजनाएं संस्था द्वारा चलाई जा रही हैं और उसके प्रबंधन में रिसर्च सेंटर के मुमुक्षु सतत कार्यरत हैं।

मंगलवार 21 फरवरी को दोपहर 3:00-5:00 पूज्यश्री के आत्मिक गुणों की स्तवना के लिए सेंटर में स्मरणंजली सभा का आयोजन किया गया है।सभा के बाद भोजन प्रसादी का लाभ लेने की सभी से नम्र विनंती है।

“सत्पुरुषों का योगबल जगत के जीवों का कल्याण करे.”

संत चरण का विनयी उपासक

श्रीमद राजचंद्र आत्म तत्व रिसर्च सेंटर, पर्ली

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